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Rituraj Class 10th Hindi क्षितिज भाग 2 CBSE Solution

Class 10th Hindi क्षितिज भाग 2 CBSE Solution

Exercise
Question 1.

आपके विचार से माँ ने ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी मत दिखाई देना?


Answer:

कविता में माँ के द्वारा बेटी को कहे गये इस कथन में माँ के दैनिक जीवन का यथार्थ छिपा है| माँ अपनी बेटी को समाज की उस वास्तविकता से अवगत करवाना चाहती है जिसमें बेटियों को कोमल एवं कमज़ोर माना जाता रहा है और लड़को से कम आंका जाता है इस कारण से बेटियाँ सदा से ही सामाजिक शोषण का शिकार होती रही है| यहाँ माँ अपनी बेटी को बुराइयों के प्रति सतर्क रहने एवं उनका बहादुरी से सामना करने की हिदायत दे रही है|



Question 2.

‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए है

जलने के लिए नहीं’

(क) इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है?

(ख) माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों जरूरी समझा?


Answer:

(क) कवि ऋतुराज जी इन पंक्तियों के माध्यम से समाज के उस चित्र का वर्णन करना चाह रहे है जिसमें बेटियों पर दहेज प्रथा जैसी कई कुप्रथाओं के कारण शारीरिक एवं मानसिक अत्याचार किया जाता रहा है इससे उनके वैवाहिक, सामाजिक, निजी, मानसिक एवं शारीरिक क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है | दहेज प्रथा लालच का नया उग्र रूप है| यह हमारे समाज का बेहद ही भयानक चेहरा है जहां एक तरफ स्त्री को भगवान माना जाता है तो दूसरी ही तरफ चंद पैसों के लिए बेटियों को आग के हवाले कर दिया जाता है| हमें इसके खिलाफ आवाज़ उठाने एवं स्त्रियों को समाज में समान अधिकार एवं इज्जत देने कि आवश्यकता है|

(ख) माँ समाज की अच्छाइयों एवं बुराइयों दोनों से भली भांति परिचित थी| माँ ने आपने जीवन में समाज के हर पहलू को देखा था और स्त्री होने के नाते वह समाज के इन सभी अत्याचारों को झेल चुकी थी| माँ जानती थी कि उनकी बेटी अभी नादान थी और समाज के इस रूप से अनजान थी| माँ चाहती थी कि उनकी बेटी जीवन की हर मुश्किल का सामना बहादुरी से करें एवं किसी भी मोड़ पर खुद को कमजोर न समझे इसलिए माँ ने बेटी को सचेत करना जरूरी समझा|



Question 3.

‘पाठिका थी वह धुँधले प्रकाश की

कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की’

इन पंक्तियों को पढ़कर लड़की की जो छवि आपके सामने उभरकर आ रही है उसे शब्दबद्ध कीजिए|


Answer:

प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से लड़की की जो छवि उभर कर आती है उसमें वह बेहद मासूम एवं सरल स्वभाव की है| वह अभी समाज की हर बुराई से अनजान अपनी काल्पनिक दुनिया में मस्त रहती है जहां बस सुख का आभास होता है| उसने अभी दुख का अनुभव नहीं किया है| उसकी दुनिया उसके माता पिता तक सीमित है| वह समाज की उथल पुथल से बेखबर है| वह अपनी इस छोटी सी दुनिया में खुश है |



Question 4.

माँ को अपनी बेटी ‘अंतिम पूंजी’ क्यों लग रही थी?


Answer:

माँ एवं बेटी का रिश्ता बेहद ही प्यारा होता है बेटी माँ के हर सुख दुख की साथी होती है| एक स्त्री होने के नाते बेटी अपनी माँ की हर मुश्किल समझती है एवं हर कष्ट में उसके साथ खड़ी रहती है| बेटी माँ के सबसे निकट होती है माँ उसे अपनी अंतिम पूंजी की भाति सहेज कर रखती है| जिस प्रकार अंतिम पूंजी चले जाने पर जीवन यापन कठिन हो जाता है उसी प्रकार बेटी के ससुराल चले जाने पर माँ का जीवन यापन करना मुश्किल हो जाता है इसलिए माँ बेटी को अपनी अंतिम पूंजी समझती है |



Question 5.

माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी?


Answer:

माँ ने बेटी को निम्नलिखित सीख दी :-

(क) माँ ने बेटी को कहा कि पानी में खुद को देखकर अपनी सुंदरता पर कभी मुग्ध नहीं होना |


(ख) आग केवल खाना बनाने के लिए है ना कि खुद को हानि पहुँचने के लिए |


(ग) माँ ने सीख दी कि वस्त्र एवं गहनों को कभी खुद के लिए बंधन नहीं बनने देना अपितु उन्हें केवल अपने सौंदर्य में वृद्धि के लिए उपयोग में लेना |


(घ) संस्कार एवं मर्यादाओं का पालन करना किन्तु कमज़ोर और बेचारी बनकर नहीं रहना |


(ङ) माँ ने कहा लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना अर्थात् कोमल एवं कमज़ोर मत बनकर रहना हर बुराई का मज़बूती से सामना करना |



Question 6.

आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है?


Answer:

कन्या के साथ दान कि बात करना बिलकुल भी उचित नहीं है| कन्यादान एक सामाजिक कुरीति है जिसने स्त्री की दशा को दयनीय बनाने में अहम भूमिका निभाई है| इस जैसी कुरीतियों के कारण स्त्री एक वस्तु बनकर रह गयी है जो कभी परिवार तो कभी समाज के अत्याचारों को झेलती रही है | यह प्रथा सदियों से चली आ रही है| रामायण से लेकर महाभारत हर जगह स्त्री कि दयनीय दशा का वर्णन मिलता है | कन्यादान प्रथा ने समाज को अभिशापित कर दिया है एवं कन्या का जीवन दूभर कर दिया है| जहाँ एक तरफ कन्या को पूजा जाता है वही दूसरी तरफ कन्यादान के नाम पर उसका किसी वस्तु कि भाती मोल भाव किया जाता है और सही मोल ना मिलने पर उसे आग में झोंक दिया जाता है| हमें इस प्रथा को बदलने की और बेटी को भी समान अधिकार देने की आवश्यकता है ताकि कन्यादान किसी भी कन्या के लिए अभिशाप न बने |



Question 7.

‘स्त्री को सौंदर्य का प्रतिमान बना दिया जाना ही उसका बंधन बन जाता है’- इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए|


Answer:

स्त्री को सौंदर्य का पर्याय माना जाता रहा है और यही कारण है कि उसे घर में सजावट की बस्तु की तरह रखा जाता रहा है| उसे घर की दहलीज़ पार करने की इजाजत नहीं होती वह देर रात को घर से बाहर नहीं जा सकती| ससुराल में लड़की को परदा प्रथा का पालन करना होता है| स्त्री को सौंदर्य का प्रतिमान बना कर उसकी स्वतंत्रता को छीन लिया जाता है | स्त्री को इंसान नहीं अपितु बस्तु की तरह उपयोग किया जाता है |



Question 8.

यहाँ अफगानी कवयित्री मीना किश्वर कमाल की कविता की कुछ पंक्तियाँ दी जा रही हैं| क्या आपको कन्यादान कविता से इसका कोई संबंध दिखाई देता है?

मैं लौटूँगी नहीं

मैं एक जगी हुई स्त्री हूँ

मैंने अपनी राह देख ली है

अब मैं लौटूँगी नहीं

मैंने ज्ञान के बंद दरवाजे खोल दिए हैं

सोने के गहने तोड़कर फेंक दिए हैं

भाइयों! मैं अब वह नहीं हूँ जो पहले थी

मैं एक जगी हुई स्त्री हूँ

मैंने अपनी राह देख ली है

अब मैं लौटूँगी नहीं


Answer:

दोनों ही कविताएँ स्त्री को केंद्र में रखकर लिखी गयी है| दोनों ही कविताओं में स्त्री को जागरूक एवं सजक बताया गया है| इस कविता की पात्र जागने की बात कह रही है अर्थात् उसे अपनी आज़ादी का मोल समझ आ गया है| उसने अपने लिए ज्ञान के दरवाजे खोल लिए है वह ज्ञान का महत्व समझ गयी है| उसने अपने गहने त्याग दिए है जो उसे बंधन का आभास करा रहे थे| उसे अपनी राह पता है वह किसी पर निर्भर नहीं है| वह अब पहले की तरह कमज़ोर और लाचार नहीं है| उसने सभी कुप्रथाओं को तोडकर घर से बाहर कदम रखना सीख लिया है| इस कविता में स्त्री का क्रोध और विचारो में दृढ़ता नज़र आ रही है|