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Bihari - Dohe Class 10th Hindi स्पर्श भाग 2 CBSE Solution

Class 10th Hindi स्पर्श भाग 2 CBSE Solution
Exercise
  1. छाया भी कब छाया ढ़ूँढ़ने लगती है? निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-…
  2. बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है ‘कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात’ - स्पष्ट कीजिए।…
  3. सच्चे मन में राम बसते हैं - दोहे के संदर्भानुसार स्पष्ट कीजिए। निम्नलिखित प्रश्नों के…
  4. गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती हैं? निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-…
  5. बिहारी कवि ने सभी की उपस्थिति में भी कैसे बात जा सकती है, इसका वर्णन किस प्रकार किया है?…
  6. मनौ नीलमनि-सैल पर आतपु पर~यो प्रभात। निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-…
  7. जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ-दाघ निदाघ। निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-…
  8. जपमाला, छापैं, तिलक सरै न एकौ कामु। मन-काँचें नाचै वृथा, साँचै राँचै रामु।। निम्नलिखित का…
Yogyta Vistar
  1. Satsaiya ke dohre (सतसैया के दोहरे)
Pariyojna Karya
  1. बिहारी कवि के विषय में जानकारी एकत्रित कीजिए और परियोजना पुस्तिका में लगाइए ।…

Exercise
Question 1.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

छाया भी कब छाया ढ़ूँढ़ने लगती है?


Answer:

गरमी की ऋतु में सूरज बिलकुल सिर के ऊपर आ जाता है, तो विभिन्न वस्तुओं की छाया सिकुड़कर वस्तुओं के नीचे दुबक जाती है। जेठ महीने की गर्मी बहुत प्रचंड होती है और इसलिए सारे मानव और मानवेत्तर प्राणियों के लिए उसे सहन करपाना असंभव हो जाता है। वृक्षों की और घर की दीवारों की छाया उनके अंदर ही अंदर रहती हैं, वह बाहर नहीं जाती। तेज धूप से बचने के लिए छाया घने जंगलों को अपना घर बनाकर उसी में प्रवेश कर जाती है छाया कहीं दिखाई नहीं देती और इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि इस स्थिति में छाया भी छाया ढ़ूँढ़ने लगती है।



Question 2.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है ‘कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात’ – स्पष्ट कीजिए।


Answer:

बिहारी की नायिका विरह की अग्नि में जल रही है लेकिन वह अपने मन की बात कहने में लजाती है| उसे अपने संदेशवाहक पर बहुत विश्वास है। उसे पता है कि उसका संदेशवाहक पूरी इमानदारी से उसका संदेश पहुँचाएगा। साथ में उसे लगता है कि संदेश लिखने के लिए कागज छोटा पड़ जाएगा। उसे अपना संदेश बोलने में शर्म भी आती है। इसलिए वह अपने संदेशवाहक से ऐसा कहती है।



Question 3.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

सच्चे मन में राम बसते हैं – दोहे के संदर्भानुसार स्पष्ट कीजिए।


Answer:

इस दोहे में कहा गया है कि झूठमूठ के आडंबर से कोई फायदा नहीं होता है। लेकिन यदि सच्चे मन से पूजा की जाए तो फिर भगवान अवश्य मिल जाते हैं। अर्थात कवि के अनुसार प्रभु उन लोगों के मन में बसते हैं जिनकी भक्ति सच्ची होती है। जो लोग तरह-तरह ढ़ोग करते हैं, सांसारिक आकर्षणों के जाल में उलझे रहते हैं, जो भक्ति का नाटक करते है, वे स्वयं भ्रमित होते हैं और दूसरों को भी भ्रमित करते है। इसलिए व्यक्ति को बाह्य आडंबर, ढोंग आदि न करके सच्चे मन से ईश्वर की आराधना करनी चाहिए।



Question 4.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती हैं?


Answer:

श्रीकृष्ण सदा मुरली बजाने में मस्त रहते हैं जिसके कारण गोपियाँ उनसे बातें नहीं कर पाती हैं। वे उनकी मुरली छिपाने का उपाय सोचती हैं क्योंकि जब मुरली उनके पास नहीं रहेगी तो वे उनसे मुरली के बहाने बातें करेंगी। गोपियाँ रसिक शिरोमणि श्रीकृष्ण से बातें करने के लालच में उनकी निकटता अधिक समय तक पाने की इच्छा रखने के कारण श्रीकृष्ण की बाँसुरी छिपा लेंती हैं।



Question 5.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

बिहारी कवि ने सभी की उपस्थिति में भी कैसे बात जा सकती है, इसका वर्णन किस प्रकार किया है? अपने शब्दों में लिखिए।


Answer:

बिहारी नगरीय जीवन से परिचित कवि हैं। उन्होंने ‘हाव-भाव’ के कुशल वर्णन को नायक-नायिका के माध्यम से इस प्रकार वर्णित किया है- “नायक नायिका से आँखों के संकेतों से प्रणय निवेदन करता है।“ इस दोहे में कवि ने उस स्थिति को दर्शाया है जब भरी भीड़ में भी दो प्रेमी बातें करते हैं और उसका किसी को पता तक नहीं चलता है। ऐसी स्थिति में नायक और नायिका आँखों ही आँखों में रूठते हैं, मनाते हैं, मिलते हैं, खिल जाते हैं और कभी कभी शरमाते भी हैं। इस प्रकार आँखों में प्रेम-स्वीकृति का भाव आता है। स्वीकृति पाकर नायक प्रसन्न हो उठाता है जिस पर नायिका लजा जाती है। इस प्रकार आँखों के संकेतों की भाषा से दोनों आपस में मन की बातें कर लेते हैं और किसी को पता भी नहीं चलता।



Question 6.

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-

मनौ नीलमनि-सैल पर आतपु पर~यो प्रभात।


Answer:

इस दोहे में कवि ने कृष्ण के साँवले शरीर की सुंदरता का बखान किया है। कवि का कहना है कि कृष्ण के साँवले शरीर पर पीला वस्त्र ऐसी शोभा दे रहा है, जैसे नीलमणि पहाड़ पर सुबह की सूरज की किरणें पड़ रही हैं।



Question 7.

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-

जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ-दाघ निदाघ।


Answer:

इस दोहे में कवि ने भरी दोपहरी से बेहाल जंगली जानवरों की हालत का चित्रण किया है। भीषण गर्मी से बेहाल जानवर एक ही स्थान पर बैठे हैं। मोर और सांप एक साथ बैठे हैं। हिरण और बाघ एक साथ बैठे हैं। कवि को लगता है कि गर्मी के कारण जंगल किसी तपोवन की तरह हो गया है। जैसे तपोवन में विभिन्न इंसान आपसी द्वेषों को भुलाकर एक साथ बैठते हैं, उसी तरह गर्मी से बेहाल ये पशु भी आपसी द्वेषों को भुलाकर एक साथ बैठे हैं।



Question 8.

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-

जपमाला, छापैं, तिलक सरै न एकौ कामु।

मन-काँचें नाचै वृथा, साँचै राँचै रामु।।


Answer:

आडम्बर और ढ़ोंग किसी काम के नहीं होते हैं। मन तो काँच की तरह क्षण भंगुर होता है जो व्यर्थ में ही नाचता रहता है। माला जपने से, माथे पर तिलक लगाने से या हजार बार राम राम लिखने से कुछ नहीं होता है। इन सबके बदले यदि सच्चे मन से प्रभु की आराधना की जाए तो वह ज्यादा सार्थक होता है।




Yogyta Vistar
Question 1.

सतसैया के दोहरे, ज्यों नाविक के तीर ।

देखन में छोटे लगै, घाव करें गंभीर।।


Answer:

प्रस्तुत दोहे में ‘ बिहारी सतसई ’ के दोहों की विशेषता बताते हुए कवि बिहारी के काव्य-कौशल की प्रशंसा की गई है। बिहारी के दोहे देखने में तो दोहे की मर्यादा जितने ही यानी दो पंक्तियों के ही होते हैं परंतु उनका अर्थ दो पंक्तियों में नहीं किया जा सकता। उन दोहों में मानो गागर में सागर भरा है। एक-एक दोहे में गहन अर्थ, भाव, शिल्प, अलंकार, रस आदि की भरमार है। इन दोहों की व्याख्या करने पर कई अर्थ निकलकर सामने आते हैं। दोहों का शब्द विधान सजीव है अर्थात पढ़ते ही आँखों के सामने दृश्य आ जाता है। इनकी लघुता मधुमक्खी के डंक के समान है जो देखने में छोटा होता है मगर जहाँ वह डंक मार देती है, शरीर के उस अंग पर गहरा घाव बन जाता है।




Pariyojna Karya
Question 1.

बिहारी कवि के विषय में जानकारी एकत्रित कीजिए और परियोजना पुस्तिका में लगाइए ।


Answer:

बिहारी का जन्म 1595 में ग्वालियर में हुआ था। जब बिहारी सात-आठ साल के थे तभी इनके पिता ओरछा चले आए जहाँ बिहारी ने आचार्य केशव दास से काव्य शिक्षा पाई। यहीं बिहारी रहीम के संपर्क में आए। बिहारी रसिक जीव थे पर इनकी रसिकता नागरिक जीवन की रसिकता थी। उनका स्वभाव विनोदी और व्यंगप्रिय था। लोक ज्ञान और शास्त्र ज्ञान के साथ ही बिहारी का काव्य ज्ञान भी अच्छा था। रीति का उन्हें भरपूर ज्ञान था। इनके द्वारा लिखा गया काव्य वर्ण्य श्रृंगार रस में लिखा गया है| इनकी कविता श्रृंगार रस की है इसलिए नायक, नायिका की वे चेष्टाएँ जिन्हें हाव कहते हैं, इनमें पर्याप्त मात्रा में मिलती हैं। बिहारी की भाषा बहुत कुछ शुद्ध ब्रज है पर है वह साहित्यिक। इनकी भाषा में पूर्वी प्रयोग भी मिलता है। बुंदेलखंड में अधिक दिनों तक रहने के कारण बुंदेलखंडी शब्दों का प्रयोग मिलना भी स्वाभाविक है। बिहारी नगरीय जीवन से परिचित कवि हैं। 1663 में इनका देहावसान हो गया। बिहारी की एक ही रचना ‘सतसई’ उपलब्ध है जिसमें उनके लगभग 700 दोहे संगृहीत हैं।